बेतला राष्ट्रीय उद्यान झारखंड प्रान्त के लातेहार और पलामू जिला के जंगलो में विस्तृत है।
पलामू व्याघ्र आरक्षित वन झारखंड के छोटा नागपुर पठार के लातेहर जिले में स्थित है। यह 1974 में बाघ परियोजना के अंतर्गत गठित प्रथम 9 बाघ आरक्षों में से एक है। पलामू व्याघ्र आरक्ष 1,026 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें पलामू वन्यजीव अभयारण्य का क्षेत्रफल 980 वर्ग किलोमीटर है। अभयारण्य के कोर क्षेत्र 226 वर्ग किलोमीटर को बेतला राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया है। पलामू आरक्ष के मुख्य आकर्षणों में शामिल हैं बाघ, हाथी, तेंदुआ, गौर, सांभर और चीतल।
पलामू ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सन 1857 की क्रांति में पलामू ने अहम भूमिका निभाई थी। चेरो राजाओं द्वारा निर्मित दो किलों के खंडहर पलामू व्याघ्र आरक्ष में विद्यमान हैं। पलामू में कई प्रकार के वन पाए जाते हैं, जैसे शुष्क मिश्रित वन, साल के वन और बांस के झुरमुट, जिनमें सैकड़ों वन्य जीव रहते हैं। पलामू के वन तीन नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को सुरक्षा प्रदान करते हैं। ये नदियां हैं उत्तर कोयल औरंगा और बूढ़ा। 200 से अधिक गांव पलामू व्याघ्र आरक्ष पर आर्थिक दृष्टि से निर्भर हैं। इन गांवों की मुख्य आबादी जनजातीय है। इन गांवों में लगभग 1,00,000 लोग रहते हैं। पलामू के खूबसूरत वन, घाटियां और पहाड़ियां तथा वहां के शानदार जीव-जंतु बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
इतिहास :
पलामू में वैज्ञानिक संरक्षण प्रयासों का इतिहास काफी लंबा है। देश में बाघों की गणना पहली बार पलामू में ही सन1932 को हुई थी।
प्रथम प्रबंध योजना :
पलामू की प्रथम प्रबंध योजना (1974-75 से 1978-79) भारतीय वन सेवा के श्री बी. एन. सिन्हा ने तैयार की। आप उस समय रांची कार्यालय में दक्षिणी अंचल के योजना अधिकारी के पद पर कार्य कर रहे थे। इस योजना के प्रमुख उद्देश्य थे जल-स्रोतों का विकास, अवैध शिकार की रोकथाम, जंगल में मवेशियों की चराई नियंत्रित करना, अग्नि सुरक्षा प्रबंध और आरक्ष के लिए बेहतर संरचनात्मक सुविधाएं प्राप्त करना।
द्वितीय प्रबंध योजना :
यह श्री आर. सी. सहाय, तत्कालीन क्षेत्र निदेशक, पलामू आरक्ष, द्वारा तैयार की गई। इसकी कालावधि 1987-88 से 1996-97 तक थी। इस योजना के उद्देश्यों में शामिल थे, वैज्ञानिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं पारिस्थितिकीय संतुलन हेतु बाघ और अन्य वन्य जंतुओं और आरक्ष के पेड़-पौधों की उपयुक्त संख्या बनाए रखना। इस योजना के दौरान आरक्ष में चौमुखी प्रगति देखी गई। पानी के मामले में आरक्ष लगभग आत्मनिर्भर हो गया। कोर क्षेत्र में चराई और मानव-जनित आग को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया गया। जहां भी खरपतवार हटाए गए, वहां साल और खैर का सफल पुनरुत्पादन हुआ। जंगली जानवरों की संख्या भी बढ़ी। पालतू पशुओं के टीकाकरण पर काफी ध्यान दिया गया, विशेषकर मुंह-खुर रोग के विरुद्ध। इसके कारण इस भयंकर बीमारी के कारण गौरों के मरने की घटनाएं नियंत्रित हुईं। शाकाहारी प्राणियों और बाघ की गणना नियमित रूप से होती रही।
कहाँ ठहरें :
- टूरिस्ट काम्प्लेक्स (थ्री स्टार) में सैलानियों के ठहरने की सुविधा है।
- इसके साथ ही यहाँ कई लॉज है। जहाँ कैंटीन में खाने पीने की व्यवस्था है। इसके साथ ही वन प्रक्षेत्र में बनाये गए ट्री हाउस में पूर्ण सुसज्जित सूट्स में यात्रियों की सुख सुविधा की पूरी व्यवस्था है।
- गर्मियों में ट्री हाउस के पास जानवर अक्सर अपनी प्यास बुझाने आते है। जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। पार्क के सामने ही पर्यटकों के ठहरने के लिए होटल है।
- ट्री हाउस और कैंटीन के पास के घास के मैदान में हिरणों का झुण्ड चरने के लिए आते है। स्थानीय पर्यटकों के लिए कोर क्षेत्र प्रभाग एक पर्यटक बस चलाता है। जो पलामू किला, बेतला पार्क, केचकी संगम की यात्रा करने के साथ वापस डाल्टनगंज पहुंचा देती है।
- झारखण्ड पर्यटन विकास निगम के द्वारा संचालित वन विहार में ठहरने की उतम व्यवस्था है। पार्क के बाहर भी बेतला, गारू और मारोमार में भी रुका जा सकता है। पूर्व सूचना के आधार पर पर्यटन विभाग भी आने जाने की व्यवस्था करा देती है।
- बेतला पार्क में न्यूनतम दर पर जीप से पुरे वन क्षेत्र में घुमने की व्यवस्था है। इसके साथ ही पार्क में दो पालतू हाथी भी है। जिसपर बैठकर जंगल में घूमते हुए जंगल और वन्य जीवों को देखा जा सकता है। पलामू टाईगर रिज़र्व जैव विविधता और विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणियों से समृद्ध है। वहाँ बने पाँच वाच टावरों से बेतला पार्क में वन्य जीवन को करीब से देखना काफी दिलचस्प है। बेतला जंगल के अंदर अभयारण्य में दर्शनीय ऐतिहासिक स्मारक और किले है।
कैसे पहुंचे :
- वायु मार्ग : रांची का बिरसा मुंडा हवाई अड्डा बेतला से 161 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से दिल्ली, कलकत्ता, लखनऊ और पटना के लिए नियमित उड़ान उपलब्ध है।
- रेल मार्ग : बेतला से 25 किलोमीटर की दूरी पर डाल्टेनगंज रेलवे स्टेशन है।
- सड़क मार्ग : बेतला से 25 किलोमीटर की दूरी पर डाल्टेनगंज स्थित है। वैसे झारखंड की राजधानी रांची से नियमित राज्य परिवहन निगम की बसे यहाँ आती है।