पन्ना राष्ट्रीय उद्यान : Panna National Parks

प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान / अभ्यारण

पन्ना भारत का बाइसवां बाघ अभयारण्य है और मध्यप्रदेश का पाँचवाँ। रिजर्व विंध्यन रेंज में स्थित है और यह राज्य के उत्तर में पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला हुआ है। पन्ना राष्ट्रीय उद्यान 1981 में बनाया गया था। इसे 1994 में भारत सरकार द्वारा एक परियोजना टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। राष्ट्रीय उद्यान में 1975 में बनाए गए पूर्व गंगऊ वन्यजीव अभयारण्य के क्षेत्र शामिल हैं। इस अभयारण्य में वर्तमान उत्तर और दक्षिण के क्षेत्रीय वन शामिल हैं। पन्ना वन प्रभाग, जिसके निकटवर्ती छतरपुर वन प्रभाग का एक भाग बाद में जोड़ा गया था। पन्ना जिले में पार्क के आरक्षित वन और छतरपुर की ओर कुछ संरक्षित जंगल अतीत में पन्ना, छतरपुर और बिजावर रियासतों के तत्कालीन शासकों के शिकार थे।

जैव विविधता संरक्षण का इतिहास :

पन्ना बाघ रिजर्व का पन्ना जिले का संरक्षित वन (रिजर्वड फॉरेस्ट) और छतरपुर जिले के कुछ संरक्षित वन पहले पन्ना, छतरपुर और बिजावर रियासतों के शासकों के शिकारगाह थे। 1975 में मौजूदा उत्तर और दक्षिण पन्ना का संभाग के क्षेत्रीय वनों से गंगउ वन्य जीव अभयारण्य का निर्माण किया गया। बाद में साथ‍ जुडे छतरपुर वन संभाग के कुछ हिस्सों को इस अभयारण्य में शामिल किया गया। 1981 में इसी गंगउ वन्यजीव अभयारण्य के स्थान पर पन्ना राष्ट्रीय उद्यान अस्तित्व में आया।1994 – में पन्‍ना राष्‍ट्रीय उद्यान को बाघ संरक्षित परियोजना (प्रोजेक्‍ट टाईगर रिजर्व) घोषित किया गया। यह देश की 22वीं संरक्षित परियोजना हैं।और इसका क्षेत्रफल कोर एरिया (576.13 वर्ग कि.मी.), बर्फ जोन (1021.97 वर्ग कि.मी.)

लेंडस्केप का विवरण :

पन्‍ना जिले के तहत अभयारण्‍य के मोटे तौर पर तीन विशिष्‍ट हिस्‍से है, ऊपरी तालगांव पठार, मध्‍य हिनौता पठार और केन नदी की घाटी। जबकि छतरपुर जिले में अभयारण्‍य के हिस्‍से में आकर्षक पहाडों की श्रृंखलायें हैं।

वन का प्रकार : 

उष्‍ण कटिबंधी, शुष्‍क पतझडी, शुष्‍क सागौन, जंगल शुष्‍क पतझडी झाडदार वन, सलई (बोसवेलिया सेर्राटा) वन, करधई (एनोजेसेस पेंडुला) वन।

वनस्पति एवं वन्यप्राणी :

सागौन (टेक्‍टोनाग्रांडिस), तेंदू (डायोसपायरस मेलानॉस्किलोन), महुआ (मधुका इंडिका), अचार (बुचानानिया लेनजेन), गुंजा (लैनिया कोरोमंडलिका), करधई (एनोजेसेस पेंडुला), धाओरा (ऐनोजेसस लाटीफोलिया), सलई (बोसवेलिया सेर्राटा), खैर (आकाशीय कैटेचू), बेल (एजल मारमिलोस), पलाश (ब्‍यूटिया मोनोस्‍परमा), अर्जुन (टेरमिनालिया अर्जुन), साजा (टेरमिनालिया टोमेनटोसा), अमलताश (कासिया फिस्‍टुला) ऑंवला (इंबालिका ओफिसिनालिस) कुल्‍लु (स्‍टेरकुलिया यूनर्स)।

बाघ, तेंदुआ, जंगली बिल्‍ली, भूरी चित्‍तीदार बिल्‍ली, लकड़बग्‍घा, जंगली कुत्‍ता, भेडि़या, सियार, रीछ, सांभर, चिततीदार हिरन या चीतल, ब्‍ल्‍यू बुल या नीलगाय, चिंकारा, फोरहोर्नड एंडीलोप या चौसंगा, सेही आदि।

यहॉ 200 से ज्‍यादा पक्षियों की शिनाख्‍त की जा चुकी है राज्‍य पक्षी का दर्जा हासिल दूधराज (पैराडाइज फलाइज कैचर) पन्‍ना में पाया जाता हैं। पन्‍ना टाईगर रिजर्व में सहजता के साथ देखे जाने वाले पक्षियों में है – बगुला या अन्‍धा भोग गुलबदना, फाख्‍ता, मोर, बटेर, तीतर, टुइयां तोता, टिटहरी, मलहत, मौखिया, शक्‍करखोरा, कलचिड़ी, दयाल, रॉबिन लटूर, पील कोतवाल, देशी तोता, डोगरा, चील, भट, तीतर, नीलकंठ नौरंग, और पवई मैना।

पन्‍ना टाईगर रिजर्व के जंगलों में भारतीय गोह (बावारनस बंगालेनसिस), भारतीय अजगर (पायथन मोलूरस), कोबरा (नाजानाजा) के अलावा केन नदी में घडि़याल (गाविया‍लिस गंजटीकस), और मगरमच्‍छ (क्रोकोडाइलस पालूस्‍टरिस) भी पाए जाते हैं।

रहवास का विवरण : वन्‍य प्राणियों एवं वन्‍य जीवों के लिए पन्‍ना टाईगर रिजर्व में उत्‍तम एवं अनुकूल रहवास हैं, पन्‍ना टाईगर रिजर्व में पर्याप्‍त क्षेत्र में घास के मैदान हैं, जो प्रत्‍येक वर्ष सुधारे तथा Maintain किए जाते है। सम्‍पूर्ण पार्क में वन्‍यप्राणियों के जगह-जगह गुफाऐं तथा घने जंगल हैं। जो वन्‍यप्राणियों के लिए उपयुक्‍त रहवास का क्षेत्र प्रदान करते हैं।

पहुंच का मार्ग :

रेल मार्ग :

  • खजुराहो – 25 कि.मी. दिल्‍ली से आने वाले पर्यटकों के लिए।
  • झांसी (180 कि.मी.) – मुंबई, दिल्‍ली और चेन्‍नई से आने वाले पर्यटकों के लिए।
  • सतना (90 कि.मी.) – दिल्‍ली, कोलकाता और वाराणसी से आने वाले पर्यटकों के लिए।
  • कटनी – (150 कि.मी.) – मुंबई, चेन्‍नई और नागपुर से आने वाले पर्यटकों के लिए।

सड़क मार्ग :

  • सतना – हिनौता एवं मंडला गेट 90 कि.मी.
  • खजुराहों से 25 कि.मी. मंडल
  • खजुराहों से 63 हिनौता गेट व मझगंवा (हीरे की खदान) 63 कि.मी.

वायु मार्ग :

  • खजुराहों से 25 कि.मी.

क्षेत्र की विशिष्टता :

  • बाघों की प्रमुख भूमि जहां करीब 25 से 30 बाघों का निवास है।
  • उत्‍तरी मध्‍य प्रदेश की विंध्‍य पहाडियों पर स्थित।
  • भंगुर और बहुविध पतझडी वन तथा फैली हुई कंदराएं और पठार।
  • सम्‍मोहित करने वाले झरनों का स्‍थान।
  • भव्‍य प्राकृतिक दृष्‍य और पुरातात्विक स्‍थान।
  • दंतकथाओं और सांस्‍कृतिक समृद्धि की भूमि।
  • बेजोड सुंदर केन नदी की भूमि।
  • सागौन (टैक्‍टोना गांडिस) वृक्षों के प्राकृतिक विस्‍तार की उत्‍तरी सीमा।
  • उत्‍तर-मध्‍य भारत का बाघों का सर्वाधिक सुरक्षित स्‍थल।

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